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"अन्धेरा / नीलमणि फूकन / दिनकर कुमार" के अवतरणों में अंतर

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22:52, 18 दिसम्बर 2021 के समय का अवतरण

इतने दिनों तक
लौटकर नहीं आए

श्याम वर्ण के
नाविकों की बातें
हम कर रहे थे

फैलाए गए
केले के पत्तों से
ओस की तरह

बून्द-बून्द
अन्धेरा टपक रहा था ।

मूल असमिया से अनुवाद : दिनकर कुमार