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"कभी मीत के कंठ लगें / रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’" के अवतरणों में अंतर
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12:13, 21 दिसम्बर 2021 का अवतरण
133
जब तक तन में साँस है, तेरी हूक, पुकार।
सारे सुख देकर तुझे, रोज लुटा दूँ प्यार ॥
134
रुक पाता है ना कभी, जीवन का संग्राम।
प्रिय की बाहों में मिले, जीवन को विश्राम।
135
मधुर अधर से तैरती ,रह -रहकर मुस्कान।
मधुर भाल को चूमकर,मिलता जीवन-दान।
136
नयनों में विश्वास है, आलिंगन में प्राण।
प्रियवर दे देना मुझे, यह उष्मित वरदान।
137
गल जाएँगे दुख सभी, मिट जाएगी पीर।
कभी मीत के कंठ लगें, मेरे प्राण अधीर।
(21-12 21)