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"इतिहास / शशिप्रकाश" के अवतरणों में अंतर

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22:47, 16 जनवरी 2022 के समय का अवतरण

तितलियों के अश्मीभूत पँख
बन जाते हैं नश्तर
और आँसू और पारा

एकसमान कठोर
हीरे के एक टुकड़े की तरह

मगर उदासी
सहस्राब्दियों बाद भी
कुहासे की तरह बनी रहती है

और स्मृतियाँ नहीं छोड़ती हैं
दस्तक देते रहने की आदत

और स्वप्नों का
पुनर्जन्म होता रहता है  !