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"अब जब मैं मर चुकी हूँ, प्रियतम ! / क्रिस्टीना रोजेटी / अनिल जनविजय" के अवतरणों में अंतर

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अब जब मैं मर चुकी हूँ, प्रियतम,
 
अब जब मैं मर चुकी हूँ, प्रियतम,
मेरे लिए कोई उदास गीत मत गाओ,
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मेरे लिए उदास गीत मत गाओ तुम,
मेरे सिर पर कोई गुलाब मत लगाओ,
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न ही लगाओ छायादार सरू का पेड़
न ही लगाओ छायादार सरू का पेड़
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मेरे सिरहाने गुलाब मत लगाओ तुम,
 
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मेरे ऊपर उगी हरी घास बन जाओ
 
मेरे ऊपर उगी हरी घास बन जाओ
 
बारिश और ओस की बून्दों से नम,  
 
बारिश और ओस की बून्दों से नम,  
और अगर तुम चाहो, तो मुझे याद रखना,
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अगर तुम चाहो, तो मुझे याद रखना,
चाहो तो भूल जाना
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चाहो तो मुझे भूल जाना, मेरे सनम !
 
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अब मैं नहीं देखूँगी छाया,
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मैं महसूस नहीं करूँगी बारिश को,
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मैं नहीं सुनूँगी बुलबुल को
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गाते हुए, चाहे वह तकलीफ़ में हो
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और धुन्धलके से गुज़रते हुए मैं देखूँगी वह सपना 
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अब मैं छायाओं को नहीं देखूँगी,
जो न उगता है और न अस्त होता है,
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बारिश को महसूस नहीं करूँगी मैं,
संयोग से शायद मैं कभी याद आ जाऊँ तुम्हें,
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बुलबुल हो चाहे कैसी तकलीफ़ में,
संयोगवश ही तुम मुझे भूल जाना।
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उसके दुखभरे  गीत नहीं सुनूँगी मैं ।
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धुन्धलके से गुज़रते हुए देखूँगी सपना 
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जो न उगता है और न होता है अस्त,
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संयोग से मैं कभी याद आ जाऊँ तुम्हें,
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संयोगवश ही तुम मुझे भूल जाना अश्वस्त ।
  
 
'''अँग्रेज़ी से अनुवाद : अनिल जनविजय'''
 
'''अँग्रेज़ी से अनुवाद : अनिल जनविजय'''

00:57, 17 जनवरी 2022 का अवतरण

अब जब मैं मर चुकी हूँ, प्रियतम,
मेरे लिए उदास गीत मत गाओ तुम,
न ही लगाओ छायादार सरू का पेड़,
मेरे सिरहाने गुलाब मत लगाओ तुम,
मेरे ऊपर उगी हरी घास बन जाओ
बारिश और ओस की बून्दों से नम,
अगर तुम चाहो, तो मुझे याद रखना,
चाहो तो मुझे भूल जाना, मेरे सनम !

अब मैं छायाओं को नहीं देखूँगी,
बारिश को महसूस नहीं करूँगी मैं,
बुलबुल हो चाहे कैसी तकलीफ़ में,
उसके दुखभरे गीत नहीं सुनूँगी मैं ।
धुन्धलके से गुज़रते हुए देखूँगी सपना 
जो न उगता है और न होता है अस्त,
संयोग से मैं कभी याद आ जाऊँ तुम्हें,
संयोगवश ही तुम मुझे भूल जाना अश्वस्त ।

अँग्रेज़ी से अनुवाद : अनिल जनविजय

लीजिए, अब यही कविता मूल भाषा में पढ़िए
     When I am dead, my dearest
          Christina Rossetti

When I am dead, my dearest,
Sing no sad songs for me;
Plant thou no roses at my head,
Nor shady cypress tree:
Be the green grass above me
With showers and dewdrops wet;
And if thou wilt, remember,
And if thou wilt, forget.

I shall not see the shadows,
I shall not feel the rain;
I shall not hear the nightingale
Sing on, as if in pain:
And dreaming through the twilight
That doth not rise nor set,
Haply I may remember,
And haply may forget.