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"हम धरती के लाल / शील" के अवतरणों में अंतर

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नया संसार बसाएँगे, नया इनसान बनाएँगें ।
 
नया संसार बसाएँगे, नया इनसान बनाएँगें ।
  
सुख स्वप्नों के स्वर गूँजेंगे, मानव की मेहनत पूजेंगे,
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सुख सपनों के स्वर गूँजेंगे, मानव की मेहनत पूजेंगे,
नई कल्पना, नई चेतना की हम लिए मशाल —
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नई चेतना, नए विचारों की हम लिए मशाल —
 
समय को राह दिखाएँगे, नया इनसान बनाएँगें ।
 
समय को राह दिखाएँगे, नया इनसान बनाएँगें ।
  
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नया संसार बसाएँगे, नया इनसान बनाएँगें ।
 
नया संसार बसाएँगे, नया इनसान बनाएँगें ।
  
एक करेंगे हम जनता को, सींचेंगे समता - ममता को,
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एक करेंगे मनुष्यता को, सींचेंगे समता - ममता को,
नई पौध के लिए पहनकर जीवन की जयमाल
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नई पौध के लिए बदल देंगे तारों की चाल
 
रोज़ त्योहार मनाएँगे, नया इनसान बनाएँगे ।
 
रोज़ त्योहार मनाएँगे, नया इनसान बनाएँगे ।
  
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सौ - सौ स्वर्ग उतर आएँगे, सूरज सोना बरसाएँगे,
 
सौ - सौ स्वर्ग उतर आएँगे, सूरज सोना बरसाएँगे,
दूध - पूत के लिए बदल देंगे तारों की चाल
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दूध - पूत के लिए पहनकर जीवन की जयमाल
 
नया भूगोल बनाएँगे, या संसार बसाएँगे ।
 
नया भूगोल बनाएँगे, या संसार बसाएँगे ।
  

15:34, 17 जनवरी 2022 के समय का अवतरण

देश हमारा, धरती अपनी, हम धरती के लाल,
नया संसार बसाएँगे, नया इनसान बनाएँगें ।

सुख सपनों के स्वर गूँजेंगे, मानव की मेहनत पूजेंगे,
नई चेतना, नए विचारों की हम लिए मशाल —
समय को राह दिखाएँगे, नया इनसान बनाएँगें ।

देश हमारा, धरती अपनी, हम धरती के लाल,
नया संसार बसाएँगे, नया इनसान बनाएँगें ।

एक करेंगे मनुष्यता को, सींचेंगे समता - ममता को,
नई पौध के लिए बदल देंगे तारों की चाल —
रोज़ त्योहार मनाएँगे, नया इनसान बनाएँगे ।

देश हमारा, धरती अपनी, हम धरती के लाल,
नया संसार बसाएँगे, नया इनसान बनाएँगें ।

सौ - सौ स्वर्ग उतर आएँगे, सूरज सोना बरसाएँगे,
दूध - पूत के लिए पहनकर जीवन की जयमाल —
नया भूगोल बनाएँगे, या संसार बसाएँगे ।

देश हमारा, धरती अपनी, हम धरती के लाल,
नया संसार बसाएँगे, नया इनसान बनाएँगें ।