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आना मेरे पास रात की ख़ामोशी में; | आना मेरे पास रात की ख़ामोशी में; | ||
− | आना सपनों की | + | आना सपनों की ख़ुशबयान ख़ामोशी में; |
− | आना मुलायम मांसल गालों के साथ और आँखें इतनी चमकीली | + | आना मुलायम मांसल गालों के साथ और |
+ | आँखें इतनी चमकीली | ||
गोया पानी पर पड़ती धूप; | गोया पानी पर पड़ती धूप; | ||
− | + | ओ ! स्मृति, आशा, प्रेम अधूरे वर्षों के | |
− | ओ ! स्मृति, आशा, प्रेम अधूरे वर्षों | + | लौट आओ आँसुओं में । |
− | ओह स्वप्न कितना मधुर, | + | ओह स्वप्न कितना मधुर, मधुमय, |
भावभीनी | भावभीनी | ||
− | जिसकी जागृति | + | जिसकी जागृति है |
जन्नत में, | जन्नत में, | ||
− | जहाँ प्रेम में | + | जहाँ प्रेम में आक डूबी रूहें मुन्तज़िर हों मिलने को; |
जहाँ प्यासी लालायित आँखें | जहाँ प्यासी लालायित आँखें | ||
देखें धीमे दरवाज़े को | देखें धीमे दरवाज़े को | ||
− | जो खुलें | + | जो खुलें और आगोश में भर लें फिर कभी न लौटाने के लिए । |
− | फिर आना मेरे सपनों में | + | फिर आना मेरे सपनों में कि मैं जी सकूँ |
− | मेरी वही ज़िन्दगी दुबारा अगरचे सर्द हो मृत्यु में : | + | मेरी वही ज़िन्दगी दुबारा अगरचे सर्द हो मृत्यु में: |
− | लौट आओ मेरे सपनों में कि मैं सौंप सकूँ | + | लौट आओ मेरे सपनों में, कि मैं सौंप सकूँ तुम्हें |
− | धड़कन के लिए धड़कन, | + | धड़कन के लिए धड़कन, सांस के लिए सांस : |
− | + | धीमे कहो, धीमे झुको, | |
जितनी देर हो, मेरी जानाँ, कितनी देर ! | जितनी देर हो, मेरी जानाँ, कितनी देर ! | ||
15:47, 18 जनवरी 2022 के समय का अवतरण
आना मेरे पास रात की ख़ामोशी में;
आना सपनों की ख़ुशबयान ख़ामोशी में;
आना मुलायम मांसल गालों के साथ और
आँखें इतनी चमकीली
गोया पानी पर पड़ती धूप;
ओ ! स्मृति, आशा, प्रेम अधूरे वर्षों के
लौट आओ आँसुओं में ।
ओह स्वप्न कितना मधुर, मधुमय,
भावभीनी
जिसकी जागृति है
जन्नत में,
जहाँ प्रेम में आक डूबी रूहें मुन्तज़िर हों मिलने को;
जहाँ प्यासी लालायित आँखें
देखें धीमे दरवाज़े को
जो खुलें और आगोश में भर लें फिर कभी न लौटाने के लिए ।
फिर आना मेरे सपनों में कि मैं जी सकूँ
मेरी वही ज़िन्दगी दुबारा अगरचे सर्द हो मृत्यु में:
लौट आओ मेरे सपनों में, कि मैं सौंप सकूँ तुम्हें
धड़कन के लिए धड़कन, सांस के लिए सांस :
धीमे कहो, धीमे झुको,
जितनी देर हो, मेरी जानाँ, कितनी देर !
अँग्रेज़ी से अनुवाद : सुधा तिवारी
लीजिए, अब यही कविता मूल भाषा में पढ़िए
Echo
Christina Rossetti
Come to me in the silence of the night;
Come in the speaking silence of a dream;
Come with soft rounded cheeks and eyes as bright
As sunlight on a stream;
Come back in tears,
O memory, hope, love of finished years.
Oh dream how sweet, too sweet, too bitter sweet,
Whose wakening should have been in Paradise,
Where souls brimfull of love abide and meet;
Where thirsting longing eyes
Watch the slow door
That opening, letting in, lets out no more.
Yet come to me in dreams, that I may live
My very life again tho’ cold in death:
Come back to me in dreams, that I may give
Pulse for pulse, breath for breath:
Speak low, lean low,
As long ago, my love, how long ago.