भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"लिम्बुनी माया / राज माङ्लाक" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=राज माङ्लाक |अनुवादक= |संग्रह= लिम...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

11:13, 20 जनवरी 2022 के समय का अवतरण


शेर्मा गाउँको रोटेपिङमा
धान नाच्दा नाच्दै
तिम्रो हात चिमोटेर

मैले भनें–

'प्रिय,
यो जुनी त तिम्रै लागि हो नि !'

उत्तरमा भन्यौ – 'नाम्सु !'

अझै थपें–
'म त तिमीविना सास फेर्नै सक्दिन'

फेरि भन्यौ – 'याम्सिङ !'