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यो मुटुलाई कसरी सम्झाई बुझाऊँ
पीर यो जिन्दगानीको साहरा एउटै भयो
बिरानो यो रात सम्झना भई जाने हो
दुई मुट्ठी सास कहिले छोडी जाने हो
कसको झुठो आशा यसै लागिरहन्छ
विपना ब्यूँझे जस्तो सपना खोजिरहन्छ
जति भुलूँ भन्छु झन झन याद आउँछ
छातीभित्र सधैँ कस्तो ज्वाला जान्छ