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जानेलाई सम्झेर मन, आँसु नझारे
तारालाई गनेर मन, रात नकाटे
सँगसँगै खेलेथेँ, बाँडिचुँडी खाएथेँ
सँगै बाँच्ने मर्ने भनी केही छिन रोएथेँ
जानेलाई सम्झेर मन, आँसु नझारे
बनपाखा हरियो, सम्झना भो' गहिरो
माया साट्ने मुटुभित्र गयो आज पहिरो
जानेलाई सम्झेर मन, आँसु नझारे