"पानी की महिमा / रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’" के अवतरणों में अंतर
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पानी की महिमा धरती पर ,है जिसने पहचानी । | पानी की महिमा धरती पर ,है जिसने पहचानी । | ||
उससे बढ़कर और नहीं है,इस दुनिया में ज्ञानी ।। | उससे बढ़कर और नहीं है,इस दुनिया में ज्ञानी ।। | ||
− | जिसमें ताकत उसके आगे,भरते हैं सब पानी । | + | जिसमें ताकत उसके '''आगे,भरते हैं सब पानी''' । |
− | पानी उतर गया है जिसका ,उसकी खतम कहानी ।। | + | '''पानी उतर गया है''' जिसका ,उसकी खतम कहानी ।। |
− | जिसकी मरा आँख का पानी ,वह सम्मान न पाता । | + | जिसकी '''मरा आँख का पानी''' ,वह सम्मान न पाता । |
− | पानी उतरा जिस चेहरे का,वह मुर्दा हो जाता ॥ | + | '''पानी उतरा जिस चेहरे''' का,वह मुर्दा हो जाता ॥ |
− | झूठे लोगों की बातें पानी पर खिंची लकीरें । | + | झूठे लोगों की बातें '''पानी पर खिंची लकीरें''' । |
छोड़ अधर में चल देंगे वे , आगे धीरे-धीरे । । | छोड़ अधर में चल देंगे वे , आगे धीरे-धीरे । । | ||
− | जिसमें पानी मर जाता है ,वह चुपचाप रहेगा । | + | जिसमें '''पानी मर जाता''' है ,वह चुपचाप रहेगा । |
बुरा-भला जो चाहे कह लो , सारी बात सहेगा ।। | बुरा-भला जो चाहे कह लो , सारी बात सहेगा ।। | ||
− | लगा नहीं जिसमें पानी ,उपज न वह दे पाता । | + | '''लगा नहीं जिसमें पानी''' ,उपज न वह दे पाता । |
फसल सूख माटी में मिलती,नहीं अन्न से नाता ।। | फसल सूख माटी में मिलती,नहीं अन्न से नाता ।। | ||
बिन पानी के गाय-बैल ,नर नारी प्यासे मरते । | बिन पानी के गाय-बैल ,नर नारी प्यासे मरते । | ||
पानी मिल जाने पर सहसा गहरे सागर भरते ।। | पानी मिल जाने पर सहसा गहरे सागर भरते ।। | ||
बिन पानी के धर्म-काज भी,पूरा कभी न होता । | बिन पानी के धर्म-काज भी,पूरा कभी न होता । | ||
− | बिन पानी के मोती को ,माला में कौन पिरोता ।। | + | '''बिन पानी के मोती को''' ,माला में कौन पिरोता ।। |
इस दुनिया से चल पड़ता है ,जब साँसों का मेला । | इस दुनिया से चल पड़ता है ,जब साँसों का मेला । | ||
गंगा-जल मुँह में जाकर के , देता साथ अकेला । । | गंगा-जल मुँह में जाकर के , देता साथ अकेला । । | ||
− | उनसे बचकर रहना जो पानी में आग लगाते । | + | उनसे बचकर रहना जो '''पानी में आग लगाते''' । |
− | पानी पीकर सदा | + | '''पानी पीकर सदा कोस'''ते,वे कब खुश रह पाते ।। |
− | पानी पीकर जात पूछते हैं केवल अज्ञानी। | + | '''पानी पीकर जात पूछते हैं''' केवल अज्ञानी। |
− | चुल्लू भर पानी में डूबें , उनकी दुखद कहानी ॥ | + | '''चुल्लू भर पानी में डूबें''' , उनकी दुखद कहानी ॥ |
− | चिकने घड़े न गीले होते ,पानी से घबराते । | + | '''चिकने घड़े न गीले होते''' ,पानी से घबराते । |
बुरा-भला कितना भी कह लो ,तनिक न वे शरमाते ॥ | बुरा-भला कितना भी कह लो ,तनिक न वे शरमाते ॥ | ||
− | नैनों के पानी से बढ़कर और न कोई मोती । | + | '''नैनों के पानी से''' बढ़कर और न कोई मोती । |
बिना प्यार का पानी पाए , धरती धीरज खोती ।। | बिना प्यार का पानी पाए , धरती धीरज खोती ।। | ||
− | प्यार ,दूध पानी-सा मिलता है जिस भावुक मन में । | + | प्यार ,'''दूध पानी-सा मिलता''' है जिस भावुक मन में । |
उससे बढ़कर सच्चा साथी , और नहीं जीवन में ।। | उससे बढ़कर सच्चा साथी , और नहीं जीवन में ।। | ||
जीवन है बुलबुला मात्र बस ,सन्त कबीर बतलाते । | जीवन है बुलबुला मात्र बस ,सन्त कबीर बतलाते । | ||
इस दुनिया में सदा निभाओ, प्रेम -नेम के नाते ।। | इस दुनिया में सदा निभाओ, प्रेम -नेम के नाते ।। | ||
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22:32, 22 फ़रवरी 2022 के समय का अवतरण
पानी की महिमा धरती पर ,है जिसने पहचानी ।
उससे बढ़कर और नहीं है,इस दुनिया में ज्ञानी ।।
जिसमें ताकत उसके आगे,भरते हैं सब पानी ।
पानी उतर गया है जिसका ,उसकी खतम कहानी ।।
जिसकी मरा आँख का पानी ,वह सम्मान न पाता ।
पानी उतरा जिस चेहरे का,वह मुर्दा हो जाता ॥
झूठे लोगों की बातें पानी पर खिंची लकीरें ।
छोड़ अधर में चल देंगे वे , आगे धीरे-धीरे । ।
जिसमें पानी मर जाता है ,वह चुपचाप रहेगा ।
बुरा-भला जो चाहे कह लो , सारी बात सहेगा ।।
लगा नहीं जिसमें पानी ,उपज न वह दे पाता ।
फसल सूख माटी में मिलती,नहीं अन्न से नाता ।।
बिन पानी के गाय-बैल ,नर नारी प्यासे मरते ।
पानी मिल जाने पर सहसा गहरे सागर भरते ।।
बिन पानी के धर्म-काज भी,पूरा कभी न होता ।
बिन पानी के मोती को ,माला में कौन पिरोता ।।
इस दुनिया से चल पड़ता है ,जब साँसों का मेला ।
गंगा-जल मुँह में जाकर के , देता साथ अकेला । ।
उनसे बचकर रहना जो पानी में आग लगाते ।
पानी पीकर सदा कोसते,वे कब खुश रह पाते ।।
पानी पीकर जात पूछते हैं केवल अज्ञानी।
चुल्लू भर पानी में डूबें , उनकी दुखद कहानी ॥
चिकने घड़े न गीले होते ,पानी से घबराते ।
बुरा-भला कितना भी कह लो ,तनिक न वे शरमाते ॥
नैनों के पानी से बढ़कर और न कोई मोती ।
बिना प्यार का पानी पाए , धरती धीरज खोती ।।
प्यार ,दूध पानी-सा मिलता है जिस भावुक मन में ।
उससे बढ़कर सच्चा साथी , और नहीं जीवन में ।।
जीवन है बुलबुला मात्र बस ,सन्त कबीर बतलाते ।
इस दुनिया में सदा निभाओ, प्रेम -नेम के नाते ।।