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"झील / बबली गुज्जर" के अवतरणों में अंतर

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14:44, 27 फ़रवरी 2022 के समय का अवतरण

मैं जब भी माँ की गोद से उतरकर
बाबा के काँधे पर झूल,
उनकी गर्दन से लिपट जाती
माँ कहती 'पानी तो झील में ही जाकर थमेगा'
और उठकर रसोई में चली जाती

मैं और बाबा देर तक हँसते..
बाबा के बाद मेरी वह झील तुम बने!