भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"और कुछ नहीं / पाब्लो नेरूदा / रामकृष्ण पांडेय" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=पाब्लो नेरूदा |अनुवादक=रामकृष्ण...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
 
पंक्ति 18: पंक्ति 18:
  
 
मेरी नीरवता के बीच घुसता चला आता है समुद्र
 
मेरी नीरवता के बीच घुसता चला आता है समुद्र
 +
 +
'''अँग्रेज़ी से अनुवाद : रामकृष्ण पांडेय'''
 
</poem>
 
</poem>

06:35, 28 फ़रवरी 2022 के समय का अवतरण

मैंने सच के साथ यह क़रार किया था
कि दुनिया में फिर भर दूँगा रोशनी

मैं दूसरों की तरह बनना चाहता था
ऐसा कभी नहीं हुआ था कि संघर्षों में मैं नहीं रहा

और अब मैं वहाँ हूँ जहाँ चाहता था
अपनी खोई हुई निर्जनता के बीच
इस पथरीले आगोश में मुझे नीन्द नहीं आती

मेरी नीरवता के बीच घुसता चला आता है समुद्र

अँग्रेज़ी से अनुवाद : रामकृष्ण पांडेय