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"प्रगति / संतोष अलेक्स" के अवतरणों में अंतर

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22:27, 17 मार्च 2022 के समय का अवतरण

उसके घर की छत को
चूमनेवाला वृक्ष अब नहीं रहा
स्‍कूल की ओर की पगडंडी
विस्‍तार पा गया
खेतों की जगह पर
समतल मैदान हैं
वहां फेन्‍स पर बोर्ड टंगा है
“साइट फार सेल”  
घुटनों पर लगानेवाली मरहम की पत्तियाँ 
व झाड- फूस ने किताबों में जगह बना ली
पनघट की टूटी- फूटी सीढ़ियाँ  
अब किसी का इंतज़ार नहीं करती
सीढ़ियों  पर बैठकर वह मुस्‍कुराया
उसके मुस्‍कुराहट में दूर तक फैली सूखी नदी थी