भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"दाम्पत्य - 3 / संतोष अलेक्स" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Kumar mukul (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=संतोष अलेक्स |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KK...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
12:06, 31 मार्च 2022 के समय का अवतरण
शादी के
अब कई बरस हो गए
बच्चे गृह कार्य कर रहे हैं
माँ पूजा पाठ
पहले जैसा प्यार नहीं रहा अब
लगता था प्रकृति भी
साथ नहीं दे रही है
समझ रहे थे ज्यादा
चाह रहे थे कम
रात को भोजन करते हुए
रोटी में, सब्जी में
कमी ढूँढता मैं
बच्चों के प्लेट से
एकाध लुकमा नीचे गिरने पर
डाँटता उन्हें
मेरे हिस्से का
बादल, हवा, पानी
अब पहले जैसा नहीं रहा
बादल के पीछे सूरज छिपता है
रोशनी नहीं
उम्मीद है पुन:
तालमेल बिठाया जा सकता है