भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"उन घरों से आती आवाज़ / बैर्तोल्त ब्रेष्त / उज्ज्वल भट्टाचार्य" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=बैर्तोल्त ब्रेष्त |अनुवादक= उज्ज...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

23:17, 29 अप्रैल 2022 के समय का अवतरण

उन घरों से आती आवाज़
कैसे इनसाफ़ की आवाज़ हो
जब कि उनके दरवाज़ों के सामने बेघर लोग पड़े हों ?

कैसे वह धोखेबाज़ नहीं, जो भूखों को
कुछ और ही सिखाता है, सिवाय यह कि भूख को कैसे मिटाना है ?
 
जो भूखों को रोटी नहीं देता
वह हिंसा भड़काता है

जिसकी नाव में
डूबनेवाले के लिए कोई जगह नहीं
उसमें कोई हमदर्दी नहीं

जो मदद नहीं कर सकता
वह ख़ामोश रहे

मूल जर्मन भाषा से अनुवाद : उज्ज्वल भट्टाचार्य