भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"वे डाल काटते रहे / बैर्तोल्त ब्रेष्त / उज्ज्वल भट्टाचार्य" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=बैर्तोल्त ब्रेष्त |अनुवादक= उज्ज...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

13:21, 30 अप्रैल 2022 के समय का अवतरण

वे उन डालों को काटते रहे, जिन पर वे बैठे थे
चीख़-चीख़कर वे बताते रहे
कैसे और तेज़ी से काटा जा सकता है उसे, और फिर गिर पड़े
नीचे गहराई में, और जो उन्हें देख रहे थे
डाल काटते हुए, उन्होंने अपने सिर हिलाए और
वे डाल काटते रहे ।

मूल जर्मन भाषा से अनुवाद : उज्ज्वल भट्टाचार्य