"हाइकु / कुँवर दिनेश सिंह / रश्मि विभा त्रिपाठी" के अवतरणों में अंतर
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झोंके हवा के- | झोंके हवा के- | ||
धौलाधार से आते- | धौलाधार से आते- | ||
− | + | बर्फ मिलाके। | |
झौंकु ब्यारि कै | झौंकु ब्यारि कै | ||
धौलाधारि ते आवैं | धौलाधारि ते आवैं | ||
− | + | बर्फ़ गबड़ि। | |
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शान्त है झील | शान्त है झील | ||
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कमल खिले! | कमल खिले! | ||
− | + | अच्चके मिलै | |
झील कै छ्वार परि | झील कै छ्वार परि | ||
सरोरू खिलै। | सरोरू खिलै। | ||
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बिर्वा जरहिं | बिर्वा जरहिं | ||
बन केरि आगी माँ | बन केरि आगी माँ | ||
− | + | चुप्पे बरहिं। | |
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कहीं बुराँश! | कहीं बुराँश! | ||
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कहूँ बुराँस! | कहूँ बुराँस! | ||
− | बसंता | + | बसंता आगी लीन्हे |
कहूँ परास! | कहूँ परास! | ||
13 | 13 | ||
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सुर्ज का ढाँपै | सुर्ज का ढाँपै | ||
− | याकु | + | याकु म्वाट बदरा |
आपहुँ काँपै। | आपहुँ काँपै। | ||
14 | 14 | ||
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चन्ना सोइ गा | चन्ना सोइ गा | ||
− | भोर की बदरी | + | भोर की बदरी माँ |
चन्ना हेरा गा। | चन्ना हेरा गा। | ||
18 | 18 | ||
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सइल कै पीठी प | सइल कै पीठी प | ||
सुर्ज दिखान्ह। | सुर्ज दिखान्ह। | ||
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15:12, 26 मई 2022 के समय का अवतरण
1
पेड़ चीड़ के
बर्फ़ में भी रहते
हरे के हरे।
बिर्वा चीड़ कै
बरफौ माँ रहँइँ
हरियरइ।
2
झोंके हवा के-
धौलाधार से आते-
बर्फ मिलाके।
झौंकु ब्यारि कै
धौलाधारि ते आवैं
बर्फ़ गबड़ि।
3
शान्त है झील
गर्मियों की शाम में
सुख की फ़ील।
सान्ति ह्वै झील
गर्मिन कै सँझा माँ
सुख कै फ़ील!
4
सहसा मिले
झील के छोर पर
कमल खिले!
अच्चके मिलै
झील कै छ्वार परि
सरोरू खिलै।
5
पंछी चहके
इस झील को रखें
साफ़ करके!
पच्छी चहिकैं
ई झीलि कैंहाँ राखैं
साफ़ कइकै।
6
खुशी की फ़ील
नाचते-गाते लोग
खामोश झील।
खुसी कै फ़ील
नाचैं- गावैं मनई
चुपानि झील।
7
नदी को देखा-
पहाड़ पर खींचे-
पानी की रेखा!
नदी लखिंन्ह
गिरि प घँइचिसि
पानी कै रेख।
8
रात की माया
चाँदनी में छलती
पेड़ की छाया।
निसि कै माया
अँजोरिया माँ छलै
बिर्वा कै छाँहीं।
9
अकेला पेड़
घर की दीवार से
सटा है पेड़।
यकठा बिर्वा
घर केरि भीति तै
सटा ह्वै बिर्वा।
10
शीत का शूल
पेड़ों ने ओढ़ लिया
हिम दुकूल!
जाड़ु कै सूल
बिर्वा ओढ़ि लीन्हिन्ह
बर्फ़ क जामा ।
11
पेड़ जलते
जंगल की आग में
चुप्प बलते।
बिर्वा जरहिं
बन केरि आगी माँ
चुप्पे बरहिं।
12
कहीं बुराँश!
वसंत वह्नि लिये-
कहीं पलाश!
कहूँ बुराँस!
बसंता आगी लीन्हे
कहूँ परास!
13
सूर्य को ढाँपे
एक मोटा बादल
खुद भी काँपे!
सुर्ज का ढाँपै
याकु म्वाट बदरा
आपहुँ काँपै।
14
धुँध है छाई
सूरज की आँखों में
नमी - सी छाई।
धुँन्ह छाइसि
सुर्ज कै आँखिन माँ
तरी छाइसि।
15
सूरज हारा
देखो आ पहुँचा है
साँझ का तारा।
सुर्ज कद्रिसि
लखहु, पगु धारा
संझा क तारा।
16
सपना कोई
चंदा की सूरत में
अपना कोई।
सपन कौनो
चन्ना कै सकलि माँ
आपन कौनौ।
17
चंदा सो गया
भोर कै बदरी माँ
चाँद खो गया।
चन्ना सोइ गा
भोर की बदरी माँ
चन्ना हेरा गा।
18
अँधेरा मिटा
पर्वत की पीठ पे
सूरज दिखा।
अन्हेर नासि
सइल कै पीठी प
सुर्ज दिखान्ह।