"हाइकु / हरेराम समीप / रश्मि विभा त्रिपाठी" के अवतरणों में अंतर
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+ | पागल है क्या। | ||
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+ | लक्ष्मी जी कर डालीं | ||
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+ | पर्छि- पर्छि कै | ||
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+ | घृणा की आँधी। | ||
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+ | घिर्ना कै आँन्ही। | ||
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+ | बहैं सभी के दुख | ||
+ | मेरी आँखों से। | ||
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+ | इतेक चहौं | ||
+ | बहैं सबै कै दुख | ||
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+ | उसके चेहरे की | ||
+ | खुली तुर्पन। | ||
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+ | झूँठ हँसी ते | ||
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+ | सींनि उधिरै। | ||
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+ | हे प्रभु !आज | ||
+ | मेरे घर फाक़े हैं | ||
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+ | ईसुर आजु | ||
+ | मोरे घर फाँका ह्वैं | ||
+ | कौनौ न आवै। | ||
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+ | सागर नीचे | ||
+ | ठिकाना खोज रही | ||
+ | थकी चिड़िया। | ||
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+ | सगरा खाले | ||
+ | श्रमित चिरइया | ||
+ | ठियाँ ख्वाजइ। | ||
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+ | पिंजरा नहीं | ||
+ | चिङिया को चाहिए | ||
+ | पूरा आकाश। | ||
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+ | पिंजरा नाहीं | ||
+ | चिरइया का चही | ||
+ | पूर अगास। | ||
+ | 16 | ||
+ | पीठ पे धूप | ||
+ | किसके लिए ढोए | ||
+ | गाँव किसान। | ||
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+ | पीठी प घाम | ||
+ | केके खातिर ढ्वावै | ||
+ | गाँव किसान। | ||
+ | 17 | ||
+ | गरीबी बोले | ||
+ | जब तक जियूँगी | ||
+ | साथ रहूँगी | ||
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+ | गरिबी ब्वालै | ||
+ | जब लगि जीहउँ | ||
+ | लगे रइहौं। | ||
+ | 18 | ||
+ | रात गुजारें | ||
+ | रोटी की चर्चा कर | ||
+ | भूख को मारें। | ||
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+ | रैनि सिराहैं | ||
+ | रोटी क चरचा कै | ||
+ | भूखि का हनैं। | ||
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09:59, 1 जून 2022 के समय का अवतरण
1
इन दिनों में
मेरा ही खरापन
हुआ दुश्मन।
ई दिनन माँ
मोरइ खरापन
भा दुसमन।
2
सिर्फ ये करो
अपने ही नाम में
मायने भरो।
बसि यू करौ
आपन नाउँ मैंहाँ
अरथ भरौ।
3
मेरी कहानी
अकाल में चिड़िया
खोजती बानी।
मोरि कहानी
अकाल माँ चिरैया
टोहहि पानी।
4
दुखियारों का
लगा है जमावड़ा
मेरे दिल में।
दुखारिन क
लागि हवै जमौड़ा
मोरे जिउ माँ।
5
पेट के लिए
रेलपाँत पे गाय
खोजती घास।
पेट खातिर
रेलपांत प गाई
घास टोहई।
6
बुनें कालीन
फिर भी वह पाए
नंगी जमीन।
बुनैं गलैचा
तबहूँ उइ पावैं
नंगी जमीन।
7
पानी की आस
पत्थर की नदी से
पागल है क्या।
पानी कै आस
पाथर कै नदी ते
बौरान हौ का?
8
पूज- पूजके
लक्ष्मी जी कर डालीं
गोरी से काली।
पर्छि- पर्छि कै
लछ्मी जी कइ डारीं
ग्वार ते कारीं।
9
नारी के लिए
आज भी ये दुनिया
मछलीघर।
नारि खातिर
अजहूँ ई दुनियाँ
मीन कै घर।
10
उड़ा ले गई
विश्वासों के छप्पर
घृणा की आँधी।
उड़ा लइ गै
बिस्वास कै छपरा
घिर्ना कै आँन्ही।
11
इतना चाहूँ-
बहैं सभी के दुख
मेरी आँखों से।
इतेक चहौं
बहैं सबै कै दुख
मोरि आँखीं ते।
12
झूठी हँसी से
उसके चेहरे की
खुली तुर्पन।
झूँठ हँसी ते
वहिकइ मुख कै
सींनि उधिरै।
13
हे प्रभु !आज
मेरे घर फाक़े हैं
कोई न आए।
ईसुर आजु
मोरे घर फाँका ह्वैं
कौनौ न आवै।
14
सागर नीचे
ठिकाना खोज रही
थकी चिड़िया।
सगरा खाले
श्रमित चिरइया
ठियाँ ख्वाजइ।
15
पिंजरा नहीं
चिङिया को चाहिए
पूरा आकाश।
पिंजरा नाहीं
चिरइया का चही
पूर अगास।
16
पीठ पे धूप
किसके लिए ढोए
गाँव किसान।
पीठी प घाम
केके खातिर ढ्वावै
गाँव किसान।
17
गरीबी बोले
जब तक जियूँगी
साथ रहूँगी
गरिबी ब्वालै
जब लगि जीहउँ
लगे रइहौं।
18
रात गुजारें
रोटी की चर्चा कर
भूख को मारें।
रैनि सिराहैं
रोटी क चरचा कै
भूखि का हनैं।
-0-