भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"सुख, जैसे सपना / रश्मि विभा त्रिपाठी" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार= रश्मि विभा त्रिपाठी |संग्रह= }} Categ...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

11:32, 26 जून 2022 के समय का अवतरण

सबके लिए
हम जितना मरे
वे सब मिले
बस बिष से भरे
यही जीवन
यही भाग्य अपना
अपने लिए
सुख, जैसे सपना
भटकें हम
रोज बीहड़ बन
कोई नहीं अपना।
-0-