भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"हंसी / अमिता दुबे" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अमिता दुबे |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatKa...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

11:17, 6 जुलाई 2022 के समय का अवतरण

हंसी कई तरह की होती है
फीकी हंसी मीठी हंसी
पैनी हंसी, तीखी हंसी

कोई दाँत निकालकर हंसा
कोई दाँत दबाकार हंसा
कोई खींसे निपोरकर हंसा
कोई भौवें सिकुड़कर हंसा
मतलब केवल हंसने से है

सबसे खतरनाक होती है
व्यंग्य की हंसी
क्योंकि
वह सामने वाले को
धराशायी करती है
होठों ही होठों में वार करती है