भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
श्रीविद्या की उपाश्ना सच्चिदानंद परब्रह्म की ही उपाशाना है | जिसे परा शक्ति की उपाशाना
कहा है | श्रीविद्या और ब्रह्म एक ही हैं| ब्रह्म प्रकाश स्वरूप है, श्रीविद्या विमर्ष रूपा है|अनुभव
गम्य ब्रह्मज्ञान श्रीविद्या की उपशना से ही प्राप्त हो सकता है|(शेष बाद में).... (इस पुस्तक के १०३ संस्कृत श्लोक लगभग १०० वर्ष पूर्व गढ़वाल (उत्तराखण्ड) निवसी पंडित श्रीकृष्णदत्त शास्त्री के सपुत्र राजगुरु पंडित हरिदत शास्त्री द्वारा शुद्ध एवं क्रमबद्ध किये गये थे ।कविता कोश में योगदान कर्ता ने बहुत से प्रकाशकों द्वारा प्रकाशित और बहुत सी वैदिक संस्कृत साहित्य की वेबसईट पर सौन्दर्य लहरी ग्रन्थ का अवलोकन करने के बाद हरिदत्त शास्त्री के शोध को सबसे ज्यादा प्रमाणिक माना है ।)
514
edits