भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"नीं उडीकण री अबखाई / चंद्रप्रकाश देवल" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=चंद्रप्रकाश देवल |अनुवादक= |संग...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

13:51, 17 जुलाई 2022 के समय का अवतरण

थूं सिंझ्या
म्हैं सूरज
हांण-फांण न्हाटतौ पूगूं थारी डेहळी

घणौ ई मन कटै
थोड़ौ ऊभ जावूं
पण करूं कांईं
थूं आवै-जावै जित्तै डूब जावूूं।