भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"कीं कारी नीं लागै / चंद्रप्रकाश देवल" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=चंद्रप्रकाश देवल |अनुवादक= |संग...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
14:30, 17 जुलाई 2022 के समय का अवतरण
म्हैं विजोग रै न्यावड़ै पाक्योड़ी गार हूं
जे केलू व्हैतौ
तौ संजोग री बरसाळी छाय देवतौ
जे व्हैतौ खेरौ-खारौ
मिळण री पगडांडी बिछ जावतौ
रातौ-रातौ दीसूं भलांई
म्हैं लाल-मजीठ कोनीं
कनैकर पिणघट जावती पिणिहारी
बिरथा ताक-झांक मत कर
थारै घड़ै रै ठींडै
म्हारै कीं कारी नीं लागै
उडीक मत
मन मोळौ मत कर
अबेळौ व्है है
पांणी रौ सरतन कर
रात कीकर काढैला!