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"ओळख रै चांनणै / चंद्रप्रकाश देवल" के अवतरणों में अंतर

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नीं कीं लेण-देण
नीं कोई मांग-तांग
तौ ई म्हैं आवण री करूं वार-वार
थारै द्वार

जद कद तूठै कांयस
जद कद खूटै थ्यावस
म्हारै आवण री जचै हरेक दांण
थारै द्वार

ज्यूं म्हे जावां वारंवार
क्लासिकां कनै
नवै समियै अरथवांन व्हैण नै
पेड़्योड़ै बगबत सामरथवांन व्हैण नै
कठै ई थूं वौ इज तौ कोनीं!