भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"मा : नौ / कृष्णकुमार ‘आशु’" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=कृष्णकुमार ‘आशु’ |अनुवादक= |संग्र...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

05:55, 26 जुलाई 2022 के समय का अवतरण

मंगळ नै
नीं बणाणी दाड़ी
अर
बिस्पत नै
लगाणौ कोनीं साबण
आं पाबंदियो रै सागै
मा
म्हारै खातर मनाया
कितरा-कितरा देवता।
म्हू सोचूं
अबै मा ई कोनी रै’ई
म्हारा तो देवता ई रूसग्या।