भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"तीन रंग का धन्धा / उमाकांत मालवीय" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=उमाकांत मालवीय |अनुवादक= |संग्रह= }...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
14:15, 6 अगस्त 2022 का अवतरण
{{KKCatNavgeet}
एक कमल का रोगी
एक कुष्ट का रोगी
इक सावन का अन्धा
यही त्रिवेणी राष्ट्र पताका
तीन रंग का धन्धा
धर्मचक्र का पेट फूलता
निगल गया है चरखा
तीन रंग ने मिलकर पोता
धर्मचक्र पर करखा
सम्विधान है महज़
कबाड़ी के घर पड़ा पुलिन्दा
जन गण मन पर मार कुण्डली
बैठा है अधिनायक
जूठन बीनता घूरे पर से
भारत भाग्य विधायक
खोज रही बन्दूक,
कि कैसे मिले पराया कन्धा
नए -नए मुग़लों के
अपने-अपने तख़्त-ए-ताउस
औ ' अशोक के सिंहों ने
स्वीकारा कॉफी हाउस
चकले में है क्रान्ति
मोल करती है विप्लव गन्धा
सत्यमेव जयते की मैयत
हरिश्चन्द्र का ज़िम्मा
शोषण और समाजवाद का
सहअस्तित्व मुलम्मा
राम नाम सत लोकतन्त्र को
संसद देती ्कन्धा