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"बुढ़ापा / एन सेक्सटन / देवेश पथ सारिया" के अवतरणों में अंतर

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21:40, 12 अगस्त 2022 का अवतरण

मैं सुइयों से डरती हूँ
रबर की चादरों और ट्यूब से डरती हूँ
मैं डरती हूँ अनजान चेहरों से
और अब मुझे लगता है कि मृत्यु क़रीब आ रही है
मौत की शुरुआत सपने जैसी होती है
बहुत सारी चीज़ें और मेरी बहन की हॅंसी
हम दोनों छोटी हैं,
पैदल चलती हुई
जंगली ब्लूबेरी इकट्ठी कर रही हैं
हम जा रही हैं डैमरिस्कोटा
ओह सूजन, वह रोने लगती है,
तुमने अपने नए कपड़ों पर दाग़ लगा लिया
मेरा मुँह भरा हुआ है—
कितना मीठा स्वाद है
और मीठा नीलाभ यह
ख़त्म होने को है
डैमरिस्कोटा की राह में

क्या कर रही हो तुम?
मुझे अकेला छोड़ दो!
तुम्हें दिख नहीं रहा कि मैं सपने में हूँ?
और सपने में तुम कभी
अस्सी साल के नहीं होते।