भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"दूसरा जन्म / लिअनीद मर्तीनफ़" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=लिअनीद मर्तीनफ़ |अनुवादक= वरयाम स...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

21:39, 14 अगस्त 2022 के समय का अवतरण

मुझे लगता है यह मेरा दूसरा जन्‍म है
मैं पहले भी कभी जिया हूँ ।
मेरा नाम हर्क्‍युलिस था ।
तीन हज़ार पाउण्ड था मेरा वजन
जड़ों समेत मैं उखाड़ देता था जंगल-के-जंगल
आसमान तक पहुँचते थे मेरे हाथ
बैठने पर मेरे वज़न से टूट जाती थी कुर्सियाँ --

फिर मेरा देहान्त हुआ ।
मैंने जन्म लिया दोबारा
सामान्‍य क़द और सामान्‍य वज़न
दूसरों की तरह मैं भी एक --
भला और प्रसन्‍न ।
अब मैं कुर्सियाँ नहीं तोड़ता
पर फिर भी मैं हूँ हर्क्‍युलिस ।

मूल रूसी से अनुवाद : वरयाम सिंह