"अगर तुम युवा हो-2 / शशिप्रकाश" के अवतरणों में अंतर
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बिसुरो मत, | बिसुरो मत, | ||
न ही ढिंढोरा पीटो | न ही ढिंढोरा पीटो | ||
यदि दिल तुम्हारा सचमुच | यदि दिल तुम्हारा सचमुच | ||
प्यार से लबरेज़ है । | प्यार से लबरेज़ है । | ||
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तब कहो कि विद्रोह न्यायसंगत है | तब कहो कि विद्रोह न्यायसंगत है | ||
अन्याय के विरुद्ध । | अन्याय के विरुद्ध । | ||
युद्ध को आमन्त्रण दो | युद्ध को आमन्त्रण दो | ||
मुर्दा शान्ति और कायर-निठल्ले विमर्शों के विरुद्ध । | मुर्दा शान्ति और कायर-निठल्ले विमर्शों के विरुद्ध । | ||
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चट्टान के नीचे दबी पीली घास | चट्टान के नीचे दबी पीली घास | ||
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रखना है साथ | रखना है साथ | ||
जलते हुए समय की छाती पर यात्रा करते हुए | जलते हुए समय की छाती पर यात्रा करते हुए | ||
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ज़ालिम नहीं होने देना है । | ज़ालिम नहीं होने देना है । | ||
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रक्त के सागर तक फिर पहुँचना है तुम्हें | रक्त के सागर तक फिर पहुँचना है तुम्हें | ||
और उससे छीन लेना है वापस | और उससे छीन लेना है वापस |
13:37, 28 अगस्त 2022 के समय का अवतरण
स्मृतियों से कहो
पत्थर के ताबूत से बाहर आने को ।
गिर जाने दो
पीले पड़ चुके पत्तों को,
उन्हें गिरना ही है ।
बिसुरो मत,
न ही ढिंढोरा पीटो
यदि दिल तुम्हारा सचमुच
प्यार से लबरेज़ है ।
तब कहो कि विद्रोह न्यायसंगत है
अन्याय के विरुद्ध ।
युद्ध को आमन्त्रण दो
मुर्दा शान्ति और कायर-निठल्ले विमर्शों के विरुद्ध ।
चट्टान के नीचे दबी पीली घास
या जज्ब कर लिए गए आँसू के क़तरे की तरह
पिता के सपनों
और माँ की प्रतीक्षा को
और हाँ, कुछ टूटे-दरके रिश्तों और यादों को भी
रखना है साथ
जलते हुए समय की छाती पर यात्रा करते हुए
और तुम्हें इस सदी को
ज़ालिम नहीं होने देना है ।
रक्त के सागर तक फिर पहुँचना है तुम्हें
और उससे छीन लेना है वापस
मानवता का दीप्तिमान वैभव,
सच के आदिम पंखों की उड़ान,
न्याय की गरिमा
और भविष्य की कविता
अगर तुम युवा हो ।