भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"जीवतो सपनो / जितेन्द्र निर्मोही" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Neeraj Daiya (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=जितेन्द्र निर्मोही |संग्रह= }} {{KKCatKav...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
18:38, 28 अगस्त 2022 के समय का अवतरण
सैअर सूं गांव
कांई आवां
लार लावां
गोबर बासीदां की गंध।
पांडू पुती भीत्यां
आगणां मे मंड्या मांडण्यां
ळीमडा कै नीचै
बैठ्या बूडा मनख्यां का
संवाद।
दूरै पणघट सूं
पाणी लाती बायरां को
दरद।
ताळाब को घाट,
नंदी की कराड़,
रीता भांडा को सुख।