भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"उदारचरितानाम / रवीन्द्रनाथ ठाकुर / सुलोचना वर्मा" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रवीन्द्रनाथ ठाकुर |अनुवादक=सुलो...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

12:13, 6 सितम्बर 2022 के समय का अवतरण

प्राचीर की छिद्र में एक नामगोत्रहीन
खिला है छोटा फूल अतिशय दीन
धिक् धिक् करता है उसे कानन का हर कोई
सूर्य उगकर उससे कहता, कहो कैसे हो भाई ?

मूल बांगला से अनुवाद : सुलोचना वर्मा