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"अभी शाम नहीं हुई, प्रिया / गिन्नादी बु्राफ़किन / अनिल जनविजय" के अवतरणों में अंतर

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अभी हमारी आगे भी और मुलाक़ातें होंगीं,
हर साल मई महीने में खिलेंगे बकाइन, जैसे वो खिलता है,
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हर साल मई महीने में खिलेगा बकाइन, जैसे वो खिलता है,
 
और फिर से कोयल गाएँगी, पक्षियों की चहचहाटें होंगी ।
 
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सोओगी तुम मेरे कन्धे पर सिर रखकर, 
 
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और मौहब्बत के वो तीन शब्द जो दोहराता हूँ कभी-कभी,
 
और मौहब्बत के वो तीन शब्द जो दोहराता हूँ कभी-कभी,
कहूँगा मैं तुमसे वैसे ही अभी फुसफुसाकर ।
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कहूँगा मैं तुमसे वैसे ही अभी भी फुसफुसाकर ।
  
खिड़की से झाँकेगा चन्द्रमा  भी और हंसेगा, 
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खिड़की से झाँकेगा चन्द्रमा अभी भी और हंसेगा, 
 
खुली हवा में सांस लेंगे हम फिर से,
 
खुली हवा में सांस लेंगे हम फिर से,
 
नहीं लौटेगा वसन्त जीवन में, यदि कहीं फँसेगा,
 
नहीं लौटेगा वसन्त जीवन में, यदि कहीं फँसेगा,

11:25, 7 सितम्बर 2022 का अवतरण

अभी शाम नहीं हुई, प्रिया, अभी समय नहीं बीता है,
अभी हमारी आगे भी और मुलाक़ातें होंगीं,
हर साल मई महीने में खिलेगा बकाइन, जैसे वो खिलता है,
और फिर से कोयल गाएँगी, पक्षियों की चहचहाटें होंगी ।

चिराबेल के पेड़ों के ऊपर ख़ूब चमकेंगे तारे अभी,
सोओगी तुम मेरे कन्धे पर सिर रखकर, 
और मौहब्बत के वो तीन शब्द जो दोहराता हूँ कभी-कभी,
कहूँगा मैं तुमसे वैसे ही अभी भी फुसफुसाकर ।

खिड़की से झाँकेगा चन्द्रमा अभी भी और हंसेगा, 
खुली हवा में सांस लेंगे हम फिर से,
नहीं लौटेगा वसन्त जीवन में, यदि कहीं फँसेगा,
भूल जाना, मेरी जान, इसे, निकाल देना अपने सिर से ।

हाँ, चलो, बकाइन हमेशा के लिए नहीं खिलता है,
चिराबेल की पत्तियाँ भी झड़ती हैं बार-बार,
अभी शाम नहीं हुई, प्रिया, अभी समय नहीं बीता है,
अलग नहीं किया वसन्त ने अभी, मुझको तुझसे, यार !

रूसी भाषा से अनुवाद : अनिल जनविजय

लीजिए, अब यही कविता रूसी भाषा में पढ़िए
             Геннадий Буравкин
ЕЩЁ НЕ ВЕЧЕР, МИЛАЯ, ЕЩЁ НЕ ВЕЧЕР...

Ещё не вечер, милая, не вечер.
Ещё все наши встречи впереди.
Сиренью будет каждый новый май расцвечен,
И вновь оглушат напрочь соловьи.

И вспыхнут звёзды ранние над вязами,
Ты сон доверишь моему плечу,
И те три слова, что ещё не сказаны,
Тебе я, между прочим, прошепчу.
И засмеётся полумесяц в фортке,
И ветер наш вернётся с полпути.
А если что-то нам весна и не повторит,   
Ты милостиво это пропусти.

И пусть, и пусть сирень цветёт не вечно,
И листья осыпает вяз не раз.
Ещё не вечер, милая, ещё не вечер,
Весна ещё не разлучила нас.

लीजिए, अब यही कविता बेलारूसी भाषा में पढ़िए
                      Геннадий Буравкин
    ВСЕ ОЩЕ НЕ Е ВЕЧЕР, МИЛА, НЕ Е ВЕЧЕР

О, не е вечер, мила, не е вечер.
Знам, наште срещи още предстоят.
Там люлякът през май ще разцъфтява вече
и славееви трели ще гласят.

Звездите ранни ще горят над брястове,
на мойто рамо сън ще повериш
и тези думи три на нашто щастие
ще ти прошепвам, докато заспиш.

Усмивки месечко ще ни остави,
ветрец завърнал се ще заблести.
И ако все пак нещо пролетта забрави,
това ти милостиво й прости.

Макар че люлякът не радва вечно
и брястът рони своите листа,
все още не е вечер, мила, не е вечер,
не ни е разделила пролетта.