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"मिख़ायलव्सकए का तारा / अन्द्रेय वज़निसेंस्की / वरयाम सिंह" के अवतरणों में अंतर

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पत्थरों के प्रहार से मरता नहीं कवि
 
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न ही पुरस्कार की गोलियों से ।
 
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सह लेगा वह नौसिखिए सैनिक अधिकारी के प्रहार
 
इस पर भी कहेगा ... लो, मारो मुझे और ... ।
 
इस पर भी कहेगा ... लो, मारो मुझे और ... ।
  

17:47, 10 सितम्बर 2022 के समय का अवतरण

इस कविता का मूल शीर्षक ’मिख़ायलव्सकए गाँव के ऊपर निकला सितारा’ है। मिख़ायलव्स्कए कवि पूश्किन के गाँव का नाम था। 'नौसिखिए सैनिक अधिकारी के प्रहार' — यहाँ कवि का अभिप्राय रूसी कवि पूश्किन से है, जिनकी हत्या ज़ार के उकसावे पर द्वन्द्व-युद्ध में एक सैनिक अधिकारी के हाथों हुई थी।

किसी की मेहरबानी का भूखा नहीं होता कवि
हर तरह के पुरस्कार के प्रति वह रहता है उदासीन ।
तारों के नहीं होते चौखटे
लोहे के या सोने के ।
  
पत्थरों के प्रहार से मरता नहीं कवि
न ही पुरस्कार की गोलियों से ।
सह लेगा वह नौसिखिए सैनिक अधिकारी के प्रहार
इस पर भी कहेगा ... लो, मारो मुझे और ... ।

महत्त्व नहीं निन्दा या ख्याति का
महत्त्व है तो संगीत के होने या न होने का ।
ढह जाती हैं सांस्कृतिक सत्ताएँ
जब उनसे मोड़ लेता है पीठ कवि ।

1978

मूल रूसी भाषा से अनुवाद : वरयाम सिंह

अब यही कविता रूसी भाषा में पढ़िए
              Андрей Вознесенский
     ЗВЕЗДА НАД МИХАЙЛОВСКИМ

Поэт не имеет опалы,
спокоен к награде любой.
Звезда не имеет оправы
ни черной, ни золотой.

Звезду не убить каменюгами,
ни точным прицелом наград.
Он примет удар камер-юнкерства,
посетует, что маловат.

Важны ни хула или слава,
а есть в нем музыка иль нет.
Опальны земные державы,
когда отвернется поэт.

1978

शब्दार्थ
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