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श्री दुर्गा चालीसा / चालीसा

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नमो नमो दुर्गे सुख करनी, नमो नमो अम्बे दुःख हरनी .
निराकार है ज्योति तुम्हारी, तिहूं लोक फैली उजियारी .
ज्वाला में है ज्योति तुम्हारी, तुम्हें सदा पूजें नर नारी.
प्रेम भक्ति से जो यश गावै, दुःख दारिद्र निकट नहिं आवे.
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