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"प्रणय / वास्को पोपा / राजेश चन्द्र" के अवतरणों में अंतर

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15:40, 25 सितम्बर 2022 के समय का अवतरण

हर कोई छील लेता है अपनी ही चमड़ी को
हर कोई अनावृत करता है अपने नक्षत्र को
जिसने देखा नहीं कभी किसी रात को

हर कोई पूर लेता है अपनी चमड़ी को चट्टानों से
और ठिठोली करता है उनके साथ
रोशनी में, अपने ही सितारों की

जो नहीं ठहरता सुबह होने तक
पलकें नहीं झपकाता, गिरता नहीं
वह पा लेता है अपनी चमड़ी को फिर से

(यह खेल शायद ही कभी खेला गया हो)

अँग्रेज़ी से अनुवाद – राजेश चन्द्र