भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"रानी / देवनीत / रुस्तम सिंह" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=देवनीत |अनुवादक=रुस्तम सिंह |संग्...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
23:21, 11 अक्टूबर 2022 के समय का अवतरण
वह औरत
अकसर ही देखी जा सकती है
चौराहों में, सड़कों पर
कागज़ के टुकड़े उठाती
काँच चप्पलें और वह सब कुछ
जो उसके बिना
सब के लिए बेकार होता
उसके पाँव के तलवे
उसकी चप्पलें बन गई हैं
उसके जिस्म के कपड़े
फट गए हैं
जहाँ से उन्हें नहीं
फटना चाहिए था
देख रहा हूँ
उसकी अँगूठी पहनने वाली उँगली
ख़ाली नहीं है ।
मूल पंजाबी भाषा से अनुवाद : रुस्तम सिंह