"जब मैं मर जाऊँगा / पाब्लो नेरूदा / तनुज" के अवतरणों में अंतर
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) |
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 48: | पंक्ति 48: | ||
मेरी प्रिय फूल, | मेरी प्रिय फूल, | ||
− | तुम खिला करना इसी तरह हमेशा! | + | तुम खिला करना इसी तरह हमेशा ! |
कर सकों ताकि तुम | कर सकों ताकि तुम |
21:10, 12 अक्टूबर 2022 के समय का अवतरण
जब मैं मर जाऊँगा,
मैं चाहता हूँ;
तुम्हारी यह हथेली रहे ठीक
मेरी इन आँखों की
पुतलियों के ऊपर
मैं चाहता हूँ,
तुम्हारे प्रिय हाथों का
प्रकाश और हलकापन
एक बार पुनः फैलाए ताज़गी
मेरे चारों ओर
बस, मैं महसूस कर पाऊँ, तुम्हारे उन हाथों की
मुलायमियत,
जिनसे निश्चित हुआ है मेरा उद्धार
मैं चाहता हूँ — तुम रहो ज़िन्दा
जब मैं इस नींद में सोया हुआ
तुम्हारी प्रतीक्षा कर रहा हूँगा,
मैं चाहता हूँ — सुन सको तुम पवन की
इन मन्द आवाज़ों को
महसूस कर सको तुम
उस समुद्र की गन्ध
जिसे हम दोनों
ख़ूब पसन्द किया करते थे
तुम चलो उसी धूल पर
जहाँ हम अक़्सर चला करते थे !
मैं चाहता हूँ — तुम जियो,
क्योंकि ज़िन्दगी से मुझे मुहब्बत है !
और,
यह बातें सिर्फ़ तुम्हारे लिए ही हैं, मेरी जाँ !
मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूँ,
तुम्हें दोहराता हूँ मैं सबसे आगे
मेरी प्रिय फूल,
तुम खिला करना इसी तरह हमेशा !
कर सकों ताकि तुम
मेरे द्वारा प्रेम में की गईं
तमाम याचनाएँ पूरी...
मेरी छाया हो सके पार
सहलाकर तुम्हारे केश
और फिर वे लोग जान सकें
मेरी सारी कविताएँ लिखने के पीछे
एक शानदार कारण हो तुम !
तनुज द्वारा अँग्रेज़ी से अनूदित