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"मोहब्बत उग आई थी हमारे बीच / मिगुएल हेरनान्देज़ / अनिल जनविजय" के अवतरणों में अंतर

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मौहब्बत उग आई थी हमारे बीच वैसे ही
 
मौहब्बत उग आई थी हमारे बीच वैसे ही
जैसे उग आता है चान्द ताड़ के दो पेड़ों के बीच
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ताड़ के दो पेड़ों के बीच उग आता है जैसे चान्द
जो कभी एक-दूसरे से गले नहीं मिले।
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कभी गले नहीं मिलते जो अपनी सीमाएँ फान्द।
  
 
दो कायाओं के बीच अन्तरंग संवाद हुआ था
 
दो कायाओं के बीच अन्तरंग संवाद हुआ था

02:23, 5 नवम्बर 2022 के समय का अवतरण

मौहब्बत उग आई थी हमारे बीच वैसे ही
ताड़ के दो पेड़ों के बीच उग आता है जैसे चान्द
कभी गले नहीं मिलते जो अपनी सीमाएँ फान्द।

दो कायाओं के बीच अन्तरंग संवाद हुआ था
गाने लगे थे हमारे दो बदन ज्यों कोई लोरी
लेकिन वो बेसुरी धुन भिंच गई थी लबों पर
होंठ पथरीले हो गए थे, मन में थी कमज़ोरी

आलिंगन की आकुलता से देहें हमारी हिली-डुली
मग़रूर हड्डियों की बदल गई थी चाल-ढाल
पर बाहें हमारी फैलने से पहले ही सिमट गईं
मन ही मन हो चुके थे हम पूरी तरह निढाल

प्यार पूरा हो गया। चान्द, जो उग आया था हम दोनों के बीच
हमारे एकाकी शरीरों में खो गया
रुहें हमारी खोजती रहीं एक-दूजे का नूर
पर खो चुके थे हम दोनॊं, हो गए थे बेहद दूर ।

मूल स्पानी से अनुवाद : अनिल जनविजय

और लीजिए अब यही कविता मूल स्पानी में पढ़िए
               Miguel Hernández
      El amor ascendía entre nosotros

El amor ascendía entre nosotros
como la luna entre las dos palmeras
que nunca se abrazaron.

El íntimo rumor de los dos cuerpos
hacia el arrullo un oleaje trajo,
pero la ronca voz fue atenazada,
fueron pétreos los labios.

El ansia de ceñir movió la carne,
esclareció los huesos inflamados,
pero los brazos al querer tenderse
murieron en los brazos.

Pasó el amor, la luna, entre nosotros
y devoró los cuerpos solitarios.
Y somos dos fantasmas que se buscan
y se encuentran lejanos.