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"एक तराना पंजाबी किसान दे लई / फ़ैज़ अहमद फ़ैज़" के अवतरणों में अंतर

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उट्ठ उताँह नूँ जट्टा
मर्दा क्युँ जानैं
भुल्या, तूँ जग दा अन्नदाता
तेरी बांदी धरती माता
तूँ जग दा पालन हारा
ते मर्दा क्युँ जानैं
उट्ठ उताँह नूँ जट्टा
मर्दा क्युँ जानैं

जरनल, करनल, सूबेदार
डिपटी, डी सी, थानेदार
सारे तेरा दित्ता खावण
तूँ जे ना बीजें, तूँ जे ना गाहवें
भुक्खे, भाने सभ मर जावण
इह चाकर, तूँ सरकार
मर्दा क्युँ जानैं
उट्ठ उतांह नूँ जट्टा
मर्दा क्युँ जानैं

विच कचहरी, चुंगी, थाणे
कीह अनभोल ते कीह स्याणे
कीह असराफ़ ते कीह निमाणे
सारे खज्जल ख़्वार
मर्दा क्युँ जानैं
उट्ठ उताँह नूँ जट्टा

एका कर लो हो जो कट्ठे
भुल्ल जो रंघड़, चीमे, चट्ठे
सभ्भे दा इक परवार
मर्दा क्युँ जानैं

जे चढ़ आवन फ़ौजाँ वाले
तूँ वी छवियाँ लम्ब करा लै
तेरा हक़ तेरी तलवार
मर्दा क्युँ जानैं

दे 'अल्ल्हा हू' दी मार
तूँ मर्दा क्युं जानैं
उट्ठ उताँह नूँ जट्टा