भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"सेंधमार / गुलशन मधुर" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=गुलशन मधुर |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatKav...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

21:16, 13 नवम्बर 2022 के समय का अवतरण

समय के बीतने के साथ
कितने भी हो चुको निरपेक्ष
वृत्तियों को साध कर
स्वयं को कर लिया हो
किसी भी सीमा तक वीतराग
उतार-चढ़ावों ने थका-उबा कर
तुम्हें बना दिया हो
आंसुओं और मुस्कराहटों से
कितना भी उदासीन
किसी ढीठ बच्चे की तरह
अपनी बात मनवा ही लेता है वह

खोज ही लेता है कोई चोर-रास्ता
तुम तक पहुंचने का

होने का कोई न कोई
बहाना ढूंढ ही लेता है
दुराग्रही दुख