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"उजड़ रहा है चमन इसको बचाऊँ कैसे / डी .एम. मिश्र" के अवतरणों में अंतर

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उजड़ रहा है चमन इसको बचाऊं कैसे
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लगी है आग, मगर आग बुझाऊं कैसे
  
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लहू से तर है नज़र इसको छिपाऊं कैसे
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चुभा जो तीर कलेजे में दिखाऊं कैसे
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मिले वो जब भी बात  आशिक़ी की करता है
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मसअले और भी हैं उसको बताऊं कैसे
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उसे मैं आज तलक हमसफ़र समझता था
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चला वो दूर जा रहा है बुलाऊं कैसे
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हसीन ख़्वाब देखने की मनाही तो नहीं
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ग़रीब हूं किला हवा में उठाऊं कैसे
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यहां तो लोग  डर रहे हैं अपने साये से
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किसी रहबर का पता उनको बताऊं कैसे 
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हवाएं तेज़  और रात बहुत गहरी  है
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बताएगा कोई मशाल जलाऊं कैसे
 
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20:53, 14 दिसम्बर 2022 के समय का अवतरण

उजड़ रहा है चमन इसको बचाऊं कैसे
लगी है आग, मगर आग बुझाऊं कैसे

लहू से तर है नज़र इसको छिपाऊं कैसे
चुभा जो तीर कलेजे में दिखाऊं कैसे

मिले वो जब भी बात आशिक़ी की करता है
मसअले और भी हैं उसको बताऊं कैसे

उसे मैं आज तलक हमसफ़र समझता था
चला वो दूर जा रहा है बुलाऊं कैसे

हसीन ख़्वाब देखने की मनाही तो नहीं
ग़रीब हूं किला हवा में उठाऊं कैसे

यहां तो लोग डर रहे हैं अपने साये से
किसी रहबर का पता उनको बताऊं कैसे

हवाएं तेज़ और रात बहुत गहरी है
बताएगा कोई मशाल जलाऊं कैसे