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"ऐसे क़ातिल से बचिए जो रक्षक भी होता है / डी .एम. मिश्र" के अवतरणों में अंतर

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आंखें मूँद के यारो दुनिया पर विश्वास न करना
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बकरे का मालिक, बकरे का भक्षक भी होता है
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खिलती कलियों का बाज़ारों में सौदा कर आता
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बेशक माली गुलशन का संरक्षक भी होता है
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उसके दिल में भी यह बात कभी तो आती होगी
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ज़्यादा प्यार जताने वाला शोषक भी होता है
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दानी बनकर नाम कमाना कितना अच्छा लगता
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चंदे  वालों का भंडारा व्यापक भी होता है
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अपनी मर्ज़ी का मालिक वो कैसे फिर हो सकता
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रोजी-रोटी की ख़ातिर जो बंधक भी होता है
 
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22:45, 14 दिसम्बर 2022 के समय का अवतरण

ऐसे क़ातिल से बचिए जो रक्षक भी होता है
गुड़ में ज़हर मिलाने वाला वंचक भी होता है

आंखें मूँद के यारो दुनिया पर विश्वास न करना
बकरे का मालिक, बकरे का भक्षक भी होता है

खिलती कलियों का बाज़ारों में सौदा कर आता
बेशक माली गुलशन का संरक्षक भी होता है

उसके दिल में भी यह बात कभी तो आती होगी
ज़्यादा प्यार जताने वाला शोषक भी होता है

दानी बनकर नाम कमाना कितना अच्छा लगता
चंदे वालों का भंडारा व्यापक भी होता है

अपनी मर्ज़ी का मालिक वो कैसे फिर हो सकता
रोजी-रोटी की ख़ातिर जो बंधक भी होता है