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"दरिया में मत आग लगाओ नई नीति से / डी .एम. मिश्र" के अवतरणों में अंतर

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कहते हो तुम निजीकरण जनहित में है
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मड़ईलाल को महल दिलाओ नई नीति से
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चोर, लुटेरे, ठगीकरण से जेबें भरते
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ओ जल्लादो, बाज़ भी आओ नई नीति से
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राजमहल में रहने वालो डरो  ख़ुदा से
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इतना मत आतंक मचाओ नई नीति से
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फिर भी लोग कहेंगे बगुला भक्त ही तुम्हें
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कितने रूप बदलकर आओ नई नीति से
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सत्ता आज तुम्हारी है, कल और किसी की
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जनपथ में कांटे न बिछाओ नई नीति से
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कितना ताक़तवर किसान है समझ गये हो
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अब तो अपना पिंड छुड़ाओ नई नीति से
 
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22:54, 14 दिसम्बर 2022 के समय का अवतरण

दरिया में मत आग लगाओ नई नीति से
कोई फिर न सुनामी लाओ नई नीति से

कहते हो तुम निजीकरण जनहित में है
मड़ईलाल को महल दिलाओ नई नीति से

चोर, लुटेरे, ठगीकरण से जेबें भरते
ओ जल्लादो, बाज़ भी आओ नई नीति से

राजमहल में रहने वालो डरो ख़ुदा से
इतना मत आतंक मचाओ नई नीति से

फिर भी लोग कहेंगे बगुला भक्त ही तुम्हें
कितने रूप बदलकर आओ नई नीति से

सत्ता आज तुम्हारी है, कल और किसी की
जनपथ में कांटे न बिछाओ नई नीति से

कितना ताक़तवर किसान है समझ गये हो
अब तो अपना पिंड छुड़ाओ नई नीति से