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"अमन के दुश्मनों से डर है मेरी जान ले लेंगे / डी .एम. मिश्र" के अवतरणों में अंतर
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+ | खुदा इनसे बचाये, ये मेरा ईमान ले लेंगे | ||
+ | मुहब्बत कर तो लूं बेशक मगर यह ख़ौफ़ भी दिल में | ||
+ | मेरे महबूब ग़म देकर मेरी मुस्कान ले लेंगे | ||
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+ | अकड़ अपनी दिखाकर वो पिता की शान ले लेंगे | ||
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+ | हमारे देश की जनता जो भोलेनाथ है बिल्कुल | ||
+ | उसी से, कपटी भस्मासुर सभी वरदान ले लेंगे | ||
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+ | निवाले भी तुम्हारे मुंह के वो शैतान ले लेंगे | ||
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+ | कभी दाढ़ी बढ़ा लेंगे, कभी भगवा पहन लेंगे | ||
+ | नये अवतार में भगवान का भी स्थान ले लेंगे | ||
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+ | ग़रीबी नाम है मेरा, करोड़ों यार हैं मेरे | ||
+ | उन्हें किसने दिया हक़ , वो मेरी पहचान ले लेंगे | ||
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23:27, 14 दिसम्बर 2022 के समय का अवतरण
अमन के दुश्मनों से डर है मेरी जान ले लेंगे
खुदा इनसे बचाये, ये मेरा ईमान ले लेंगे
मुहब्बत कर तो लूं बेशक मगर यह ख़ौफ़ भी दिल में
मेरे महबूब ग़म देकर मेरी मुस्कान ले लेंगे
उन्हें दुनिया तभी तो कलियुगी औलाद कहती है
अकड़ अपनी दिखाकर वो पिता की शान ले लेंगे
हमारे देश की जनता जो भोलेनाथ है बिल्कुल
उसी से, कपटी भस्मासुर सभी वरदान ले लेंगे
अमीरी के हज़ारों रंग के सपने दिखा करके
निवाले भी तुम्हारे मुंह के वो शैतान ले लेंगे
कभी दाढ़ी बढ़ा लेंगे, कभी भगवा पहन लेंगे
नये अवतार में भगवान का भी स्थान ले लेंगे
ग़रीबी नाम है मेरा, करोड़ों यार हैं मेरे
उन्हें किसने दिया हक़ , वो मेरी पहचान ले लेंगे