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"वक़्त ही बदला है केवल और क्या बदला है आज / डी .एम. मिश्र" के अवतरणों में अंतर

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चल रहा मनुवादियों के नियम से अब भी समाज
  
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आज भी दर्ज़ा बराबर का नहीं पाता दलित
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जिस तरफ़ भी देखिए फैला सवर्णों का है राज
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प्रश्न यह जितना सरल दिखता है उतना है नहीं
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भिक्षु बाभन को भी अपनी बभनई पर क्यों है नाज़
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प्यार उसका जुर्म , पंचायत में ठहराया गया
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मर गई छमिया बेचारी , पर नहीं बदला समाज
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दूर क्यों इन्सान से इन्सान है, बनकर अछूत
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सब वही पीते हैं पानी, सब वही खाते अनाज
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धर्म, मजहब, जातियों में लोग कैसे बँट गए
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इस पुराने कोढ़ का अब मुस्तक़िल ढूंढो इलाज
 
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12:58, 15 दिसम्बर 2022 के समय का अवतरण

वक़्त ही बदला है केवल और क्या बदला है आज
चल रहा मनुवादियों के नियम से अब भी समाज

आज भी दर्ज़ा बराबर का नहीं पाता दलित
जिस तरफ़ भी देखिए फैला सवर्णों का है राज

प्रश्न यह जितना सरल दिखता है उतना है नहीं
भिक्षु बाभन को भी अपनी बभनई पर क्यों है नाज़

प्यार उसका जुर्म , पंचायत में ठहराया गया
मर गई छमिया बेचारी , पर नहीं बदला समाज

दूर क्यों इन्सान से इन्सान है, बनकर अछूत
सब वही पीते हैं पानी, सब वही खाते अनाज

धर्म, मजहब, जातियों में लोग कैसे बँट गए
इस पुराने कोढ़ का अब मुस्तक़िल ढूंढो इलाज