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"ख़बर वो नहीं जो दिखायी गयी है / डी .एम. मिश्र" के अवतरणों में अंतर
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+ | फटेहाल रहकर भी खुशहाल हों सब | ||
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+ | जिसे लोग सुन करके हो जांय पागल | ||
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13:03, 15 दिसम्बर 2022 के समय का अवतरण
ख़बर वो नहीं जो दिखायी गयी है
उसे ढूंढिए जो छुपायी गयी है
हक़ीक़त किसी को पता कैसे होगी
कहानी बनाकर सुनायी गयी है
दबाकर गला उसको मारा गया था
दुपट्टे में लटकी वो पायी गयी है
मगर कौन देगा गवाही बताओ
सरेआम गोली चलायी गयी है
बताओ, पुलिस को पता ही नहीं कुछ
कि दलितों की बस्ती जलायी गयी है
फटेहाल रहकर भी खुशहाल हों सब
नयी योजना फिर बनायी गयी है
जिसे लोग सुन करके हो जांय पागल
वही बात केवल बतायी गयी है