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"पिता बनना बहुत आसां, पिता होना बहुत मुश्किल / डी .एम. मिश्र" के अवतरणों में अंतर

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पिता बनना बहुत आसां , पिता होना बहुत मुश्किल
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गमों का बोझ यह, हंसते हुए ढोना बहुत मुश्किल
  
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यहाँ किससे कहूँ बच्चे मेरे भूखे  कई दिन से
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अमीरों की यह महफ़िल है यहाँ रोना बहुत मुश्किल
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सुबह से शाम तक जब काम करके लौटता हूँ घर
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वही चिंता का हो बिस्तर तो फिर सोना बहुत मुश्किल
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कभी बच्चों के पांवों में नहीं चुभने दिए कांटे
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पर, अपने घाव अपने अश्रु से धोना बहुत मुश्किल
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मुझे अच्छी तरह मालूम है, हालात कैसे हैं
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ज़मीं बंजर हो तो सपने हसीं बोना बहुत मुश्किल
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मेरी उम्मीद भी मेरे लिए संतान जैसी है
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जिसे बचपन से पाला हो उसे खोना बहुत मुश्किल
 
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15:47, 15 दिसम्बर 2022 के समय का अवतरण

पिता बनना बहुत आसां , पिता होना बहुत मुश्किल
गमों का बोझ यह, हंसते हुए ढोना बहुत मुश्किल

यहाँ किससे कहूँ बच्चे मेरे भूखे कई दिन से
अमीरों की यह महफ़िल है यहाँ रोना बहुत मुश्किल

सुबह से शाम तक जब काम करके लौटता हूँ घर
वही चिंता का हो बिस्तर तो फिर सोना बहुत मुश्किल

कभी बच्चों के पांवों में नहीं चुभने दिए कांटे
पर, अपने घाव अपने अश्रु से धोना बहुत मुश्किल

मुझे अच्छी तरह मालूम है, हालात कैसे हैं
ज़मीं बंजर हो तो सपने हसीं बोना बहुत मुश्किल

मेरी उम्मीद भी मेरे लिए संतान जैसी है
जिसे बचपन से पाला हो उसे खोना बहुत मुश्किल