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"मैंने शोहरत नहीं कमाई है / डी .एम. मिश्र" के अवतरणों में अंतर

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गुम रहा  आपके मैं जलवों में
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रात भर नींद नहीं आई है
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यह भी अब याद नहीं है मुझको
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चोट कब , कितनी मैने खाई है
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मैं कहां ख़ुद से आने वाला था
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मौत मुझको यहां पे लाई है
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क्यों किसी और को बदनाम करूं
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अपनी करनी की सज़ा पायी है
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फूंक दूं  अपनी  ख़्वाहिशें सारी
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अब इसी में मेरी भलाई है
 
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16:21, 15 दिसम्बर 2022 के समय का अवतरण

मैंने शोहरत नहीं कमाई है
घर की दौलत भी सब लुटाई है

इस फ़क़ीरी में कितनी मस्ती है
जिंदगी लाजवाब पाई है

उनके हिस्से में सब इनाम गये
मेंरी तक़दीर में रूसवाई है

गुम रहा आपके मैं जलवों में
रात भर नींद नहीं आई है

यह भी अब याद नहीं है मुझको
चोट कब , कितनी मैने खाई है

मैं कहां ख़ुद से आने वाला था
मौत मुझको यहां पे लाई है

क्यों किसी और को बदनाम करूं
अपनी करनी की सज़ा पायी है

फूंक दूं अपनी ख़्वाहिशें सारी
अब इसी में मेरी भलाई है