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"ज़ुल्म के इस दौर में बोलेगा कौन / डी .एम. मिश्र" के अवतरणों में अंतर
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+ | दिल बड़ा है गर तो आगे आइये | ||
+ | बेसहारों को सहारा देगा कौन | ||
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+ | इन्क़लाबी शायरी लिक्खेगा कौन | ||
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16:22, 15 दिसम्बर 2022 के समय का अवतरण
ज़ुल्म के इस दौर में बोलेगा कौन
बढ़ रहा आतंक है रोकेगा कोन
इस तरह ख़ामोश कैसे लोग हैं
हम रहे गर चुप तो फिर बोलेगा कौन
रोशनी करनी है तो ख़ुद भी जलो
इस धधकती आग में कूदेगा कौन
क्या कोई ऊपर से टपकेगा हुज़ूर
बदमिज़ाजे वक़्त को बदलेगा कौन
दिल बड़ा है गर तो आगे आइये
बेसहारों को सहारा देगा कौन
डर गये हम भी हुकूमत से अगर
इन्क़लाबी शायरी लिक्खेगा कौन