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"मुझे यक़ीन है सूरज यहीं से निकलेगा / डी .एम. मिश्र" के अवतरणों में अंतर

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बहेगी जब हवा मेरा मकान गमकेगा
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करेगा क्या जो मेरा आसमान गरजेगा
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तुझे  वो दिख रहा मासूम परिंदा बेशक
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तेरा हरेक छुपा राज़ वही खोलेगा
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हमें पता है उसकी बेहिसाब ताक़त का
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अभी ख़फ़ा है नहीं बोल रहा वो मुझसे
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मेरा वो प्यार है मुझको ज़रूर ढूँढेगा
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तपेगा आग में तो  और भी वो दमकेगा
 
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21:54, 15 दिसम्बर 2022 के समय का अवतरण

मुझे यक़ीन है सूरज यहीं से निकलेगा
यहीं घना है अंधेरा है यहीं पे चमकेगा

इसीलिए तो खुली खिड़कियां मैं रखता हूं
बहेगी जब हवा मेरा मकान गमकेगा

मेरी ज़ुबान पे ताले तो वो लगा सकता
करेगा क्या जो मेरा आसमान गरजेगा

तुझे वो दिख रहा मासूम परिंदा बेशक
तेरा हरेक छुपा राज़ वही खोलेगा

हमें पता है उसकी बेहिसाब ताक़त का
यदि वो गजराज है तो चींटियों से हारेगा

अभी ख़फ़ा है नहीं बोल रहा वो मुझसे
मेरा वो प्यार है मुझको ज़रूर ढूँढेगा

यही पहचान है कुन्दन की ज़माने वालो
तपेगा आग में तो और भी वो दमकेगा